राजनैतिक लोग जो पाखंडी जीन्होने शिक्षक को किसी न किसी कारण से लोगो के ताने सुनने के लिये बेबस कर दिया है, शिक्षकों से संत संदीपनी की तरह गरीबी में आश्रम मे रहने की आज भी उम्मीद करते हैं। शिक्षक समाज को सही शिक्षा पढ़ाता है तो इनके पेट में दर्द होता है। शिक्षकों को कितना वेतन मिलता है ? क्या इन्हे बिना काम के भी समय पर वेतन मिलता हैं ? क्या सरकार की ओर से शिक्षक के भविष्य के लिए कोई स्थाई योजना है ? शिक्षक गौरव सन्मान और भविष्य की योजनाये है जिससे वो बडे संविधानिक पदो पर कार्य कर सके | जब अपने लिये पेन्शन लागू की है तो क्या उन्हें शिक्षको के लिये पुरानी पेंशन योजना क्यो लागू नही करते है ? ज्यादा लोग परिवार मे होते हुवे भी उनका घर कैसा चलता है ? उनके बच्चो का बचपन कैसा है ? ये सवाल इन पाखंडियों के मन में कभी नहीं आते। शिक्षक पेशे की आलोचना करने वाले इन कृतघ्न लोगों को कोड़े से मारने की सजा भी कम हो जायेगी क्यों की वे अपने स्वयं के भत्ते, वार्षिक वेतन वृद्धि, एक आरामदायक रिसॉर्ट में मंजूर कर लेते है | मुफ्त परिवार को सरकार की तरफ से मिलने वाले भाते , मुफ्त चिकित्सा देखभाल का आनंद लेते हैं और एक झटके मे इन सब के लिये सबकी सिफारीशे बिना चर्चा के ही पारित कर लेते है | जब शिक्षक या अन्य कर्मचारी को आर्थिक लाभ देने की बारी आती है तो बडे बडे ढकोसले दिये जाते है किसी न किसी के अध्यक्षता मे आयोग बिठाये जाते है | वे आयोग अभ्यास करेंगे फिर अपना कार्य इनको देंगे फिर ये उसपर सर्वसंमती से लागू करेंगे |हर साल 5 सितंबर को ये सारे पाखंडी और इनका पाखंड जाग जाते हैं. उस समय, "हमारे भाग्यविधाता राष्ट्र के भविष्य को आकार दे रहे है", "ज्ञानदीप अज्ञान के अंधेरे से प्रकाश की और ले जा रहे है", "तूफान में फंसे जहाजों को किनारे लगा रहे है", जीवन को सुंदर बनाने वाले कलाकार जैसे शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए व्हाट्सएप पर सहज वाक्यांश प्रसारित होते हैं। मिट्टी के बर्तन को आकार देने वाले कलाकार माती के कच्चे घडे को बनाने वाले मूर्तीकार ये सब देखकर थोडी देर के लिये मन आनंदीत होना स्वाभाविक है । पर जब हर साल शिक्षक अपने आप को अच्छा बताने और सिद्ध करने की दौड लगाते है जिसमे वास्तविक गुणो से ज्यादा आर्थिक तथा राजनैतिक संबंध काम आते है ऐसे आरोप हर समय लगते है | शिक्षको पर जब चुटकुले , उपाख्यान, आदी जो शिक्षकों को अपमानित करते हैं, ऐसे काम मजाक मजाक मे काफो लोग कर देते है सभी कहते हैं, "चलता है यार!" हल्के से लेंका ”ऐसे संवेदनहीन, शुष्क, निर्लिप्त विचार के साथ हर कोई स्वीकार करता है, क्योंकि इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। यह बात पुरे समुदाय के लिये कही जाती है | इसलिये जिस समुदाय के लिये कही जाती है वो समुदाय भी इस पर कोई आक्षेप या टिपण्णी नही करता | लोग कहते है की आईपीएल प्रतियोगिता बिल्कुल भी टेढ़ी बात है। पर ऐसा बिलकुल नही है | यह एक सार्वजनिक मनोरंजन आउटडोर तमाशा है। इन मैचों के लिए लाखों की भीड़ उमड़ती है । इन खेलों में बहुत पैसा है, क्यों की वित्त का असार बहुत बड़ा है। लेकिन जब जयदेव उनाकत जैसे साधारण खिलाड़ी को 9 करोड़ रुपये की बोली की पेशकश की जाती है, तो बुद्धिमान व्यक्ति को आश्चर्य होता है की क्या हमारे शिक्षकों के लिए कभी कोई बोली होगी? क्या ऐसी बोली सिर्फ देश की रक्षा के लिए, माइनस चालीस डिग्री में सीमा पर खड़े मेरे देश के जवानों के लिए कभी होगी? चिलचिलाती धूप और मूसलाधार बारिश में सड़क पर पहरा देने वाले मेरे बुढे ग्रामीण के लिए क्या ऐसी बोली लगाई जाएगी? सैनिकों की वन रेंक वन पेंशन पर चर्चा चर्चा तो है पर पुलिस को रहने के लिए अच्छे घर कब निश्चित तौर पर मिलेंगे इसका कोई जवाब आज भी नही नही | जीवन शून्य को बहोत ज्यादा महत्व होता है यदी शून्य दाये बाजू मे हो जैसे क्रिकेट के खिलाडी तो उसे बहोत किमत होती है लेकिन शून्य बाये तरफ हो तो उसकी कोई किमत नही होती सिर्फ और सिर्फ चर्चा होती है ५ सप्टेंबर गुजर जाने के बाद शिक्षक चर्चा से बाहर हो जाते है पुरे एक वर्ष के लिये यही सत्य है | यदी शिक्षक मे वास्तविकता मे कोई गुण है तो उसकी भी कद्र होनी चाहिये | यदी कोई शिक्षक देश के महामहीम राष्टपती के द्वारा सन्मानित होता है तो उस शिक्षक के गुणो की कदर करते उस शिक्षक को किसी बडे सरकारी महाविद्यालय का प्रधानाचार्य बनाना चाहिये उसके लिये भी सरकार ने रिजर्वेशन रखने की जरुरत है | यदी किसी शिक्षक का राज्य स्तर पार राज्यपाल मोहोदय द्वारा सन्मान होता है तो उस शिक्षक का किसी बडे सरकारी विद्यालय का प्रधानाचार्य बनाना ही उस शिक्षक का सही मायनो मे सन्मान होगा | यदी किसी शिक्षक का जिल्हा स्तर पर सन्मान होता है तो उस शिक्षक को किसी सरकारी पाठशाला जहा प्रधानाचार्य का संविधानिक पद होता है उस जगह उन्हे काम करणे के लिये बढती देनी चाहिये | यही शिक्षक का सन्मान होगा | आदर्श शिक्षक चयन प्रक्रिया online परीक्षा होनी चाहिये जिसमे कुल 50 प्रश्न 100 गुणो मे से 66 गुण से ज्यादा होने चाहिये साथ ही साथ 50 गुण शिक्षक की उन उपलाब्धियो पर होने चाहिये जो विद्यार्थी उनके जीवन मे वर्ग १ वर्ग २ के सरकारी अधिकारी बन गये हो जिनके दाखिले और शिक्षा उस शिक्षक ने दी हो | 50 गुणो की मौखिक परीक्षा शिक्षा विभाग द्वारा हो | तीनो के गुणो से उत्तम से उत्तम शिक्षक का निष्पक्ष चुनाव हो सकता है | शायद बहोत कम लोग परीक्षा मे भाग ले पर जो भी शिक्षक देश या राज्य या जिल्हा स्तर का आदर्श शिक्षक पुरस्कार से सन्मानित होगा यकिनन वो सर्वोच्च कोटी का होगा | www.vinoddahare.blogspot.com
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