एक बार मृत्यू के देवता यम एक इंसान के प्राण हरने के लिये मृत्युलोक पहोचे मृत्युलोक पर एक भव्य भोजनदान का कार्यक्रम चल रहा था हजारो लोग वहा खाना खा रहे थे सेकडो लोग खाना परोस रहे थे उनही मे से एक व्यक्ती को लेने के लिये यम धरती पर आये थे उस व्यक्ती की धार्मिक कृती देखकर यम प्रसन्न हो गये सब के बीच प्राण हरने से लोगो को बडी असुविधा होगी इसलिये उसे घर जाने तक यम रुके जैसे ही वो व्यक्ती अपने घर के द्वार पर पहोचा यम ने कहा तुम्हारी अभी जल्द ही मृत्यू हो जायेगी मै तुमारे प्राण लेने आया हु मगर तुम अच्छा काम करके आये हो तो इस मृत्यू की किताब मे हर पन्ने पर स्याही समाप्त होने तक अपनी राय लिखो तूम जो भी लिखोगे वह सत्य होगा पहला पन्ना खोल कर देखा तो उस पर पडोसी के घर करोड रुपयो की लॉटरी लगेगी ऐसा लिखा था यह देखकर वह व्यक्ती आग बाबुला हो गया और उसे लॉटरी न लगे ऐसे लिख दिया उसका नुकसान हो ऐसे लिखा अगले पन्ने पर उसके रीस्तेदार को बडे अफसर बनने का अवसर लिखा था उसे वो भी पसंद नही आया ओउर उसने उसे प्रमोशन न मिले ऐसे लिख दिया तिसरे पन्ने पर उसके पडोसी को किसी स्पर्धा मे कार मिलने वाली ही ऐसे दिखा तो उसने फिर से गालात ही लिख दिया ऐसा करते आखरी पन्ने पर जब अपने लिये लिखना था तब पेन की स्याही खतम हो गई चाह्कर भी वो लिख नही पाया ऐसे ही हमारे जीवन मे औरो के लिये गालात व्यवहार से हमारा कभी भला नही हो पाता
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