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हमे आज भी सस्ती चिजो का शौक नही सपने बेचने वालो की खामोशीया भी उनके लफ्जो से ज्यादा महँगी होती है |

Tuesday, September 5, 2017

चुनावी जीत का मंत्र / Chunavi jit ka mantra

दोस्तो  मेरा अब तक का  राजनैतिक अभ्यास ये बताता है कि आज तक जितने भी चुनाव  हुवे है  वे सभी जिस किसी भी दल ने जिते है उस दल के कार्यकर्ता एक अनुशासन मे काम करते रहते है.  वही दल , पार्टी चुनाव जितती हमे अक्सर  दिखाई देती है जो अनुशासन से काम करती है. हमे क्यो ऐसा दिखता है ? तो जब तक एकता है ,अनुशासन है  तब तक सब ठीक है , विजय है . सहजभाव है दोस्तो की  ताकत काम हो जाती है तो सत्ता से दूर होना ही पडता है .  हम भारत के किसी भी राजनैतिक दल का इतिहास देखे तो जीनोने भी अपना राजनैतिक गट जोड तोड दिया है वो फिर सत्ता मे  जल्द वापस नही  आ पाये है.  चुनावो मे निचले स्तर के कार्यकर्ता की ही महत्वपूर्ण , अहम भूमिका होती है. पर सत्ता मिलते ही कार्यकता ही हमेशा  कार्य से महरूम हो जाते है.  मैने अपने अभ्यास मे ये अक्सर देखा है कि चुनाव मे जिस पार्टी के  कार्यकर्ता खुश रहते है वही जरूर जितके आते है . चुनाव मे वो ही लोग चुनकर आते है जिनका लोग ज्यादा से ज्यादा विरोध करते दिखते है क्यो कि वो विरोध करणे वाले लोग  उस इन्सान कि बराबरी किसी अन्य जगह के विकसित नेता से करते है जो वहा उस काम के लिये होता ही नही. फिर एक सकारात्मक विचारो वाले इन्सान का वैचारिक आकर्षण सेकडो नकारात्मक इंसानोके विचारो को बदल देता है .जो सही मायनो मे राजनेता होता है वो अपने ग्राम तल के मुख्य नेता के हमेशा संपर्क मे रहता है. उसके हर महत्व पूर्ण आगमन पर मांगने कुछ ना कुछ आर्थिक मदत देता है. या तो जब भी गाव मे जाता है तो सबसे पहले अपने ग्राम मुखिया को कुछ ना कुछ आर्थिक मदत चुपचाप उसके उसके कंधे पर हात रखकर बिनाबोले जेब मे प्रेम से डाल देता है. उससे प्रेम , लगन ओर सद्भाव बना रहता है. चुनाव के समय पक्ष की भूमिका बडी अहम होती है. चुनाव लडने वाले उमिद्वार को मिलने वाले चुनावी मतो कि अपेक्षा कि जबाबदारी वो खुद लेता है ओर जीत की मंजिल दो कदम करीब होती है. सही राजनेता तो अपने चुनावी क्षेत्र के गाव ओर पक्ष के गाव मुखियो के हमेशा शीर्ष नेतृत से मोबाईल पर पक्ष कि प्रगती पर बाते करते है . मै ये चाहता हू के देश के बडे राजनैतिक पक्ष जो पुरे देश मे काम करते है वो एक ऐसा साफ्टवेअर इजाद करे जिसमे कम से कम देश के हर तहसील लेवल के हर पक्ष के नेता कि पुरी जानकारी हो  जिसमे उनका नाम मोबाईल नंबर ,राजनैतिक गतीविधी इनकी जानकारी उन्हे मिले. जब जब शीर्ष नेतृत्व को समय मिले तब किसी एक मोबाईल नंबर पर बात करे अचानक शीर्ष नेतृत का फोन पाकर कार्यकर्ता का सीना गर्व से चौडा हो जाता है ओर जानकारी के आधार पर विपक्षी दल के स्थानिक नेता के बारे मे जब पूछा जाता है तब कार्यकर्ता ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि इतनी सारी बाते शीर्ष नेतृत्व को जब पता है तो वो बडे जोर ओर जुनून से काम करता है नई शक्ती , उर्जा से काम करता है. काम करणे की कला भी बडी न्यारी होती है किसी प्रकार के काम निचले स्तर के नेता के सिफारिश पत्र के बिना ना हो तो यकिनन पक्ष कि मजबुती ओर एकता कभी टूट नही सकती जब निचले स्तर के कार्यकर्ता को ये सन्मान दिया जाता है तो पक्ष सही मायनो मे काम करता है .  
विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ता को फुजूल सन्मान ओर धन देने से अच्छा है  कि उससे सिर्फ आधा धन ओर दुगना सन्मान जबरन अपनी पार्टी  के  निचले स्तर के  कार्यकर्ता को दे  तो विजय निश्चित  ही होती  है क्यो  की भले ही दिखावा कुछ ओर हो  पर पैसा  ओर  सन्मान किसी  को भी  ना  नही होता .  यही  जीत का मूलमंत्र है  जो युगो  योगो से चला आ रहा है . 
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