Wellcome

हमे आज भी सस्ती चिजो का शौक नही सपने बेचने वालो की खामोशीया भी उनके लफ्जो से ज्यादा महँगी होती है |

Thursday, August 30, 2018

भविष्य के बँक घोटाले / future bank scams


देश डिजिटल , पेपरलेस हो रहा है बडे ही गर्व की बात है मगर काही ऐसी बाते है जिनकी आज भी गरीब ओर निचले तबके को नुकसान ही हो रहा है. लगभग सभी छोटे बडे राष्ट्रीयकृत बँक अपनी छोटी छोटी मिनी शाखाये निजी हातो मे देकर खोल रखी है. वहा जो सुविधाये मिलती है वो बडी बँक सेवाओ से बेहतर होती है ऐसी आम धारनाये है. किसी हद तक ये सही है मगर हाली के दिनो मे कई मामले ऐसे उजागर हुवे है की हजारो लोगो की जमा पुंजी खाते से गायब हो जाती है इस प्रकार से आम लोगो की निंद उड गई है. बँक की मिनी शाखा मे पैसे का लेन्देन बडी मात्रा मे होता है. ज्यादातर लोग पैसे निकालने वहा आते है. पैसे निकालने के लिये कोई परची भरणी नही पडती सिर्फ मुह जबानी लेन्देन होता है ओर खाते का नंबर बताकर अंगुठा निशाण लगाकर लेन्देन की प्रक्रिया पुरी की जाती है. लेन्देन करणेवाला व्यक्ती अपने काम्पुटर ,मे जो जानकारी लेता या देता है वो सिर्फ उसे ही पता होती है कैसे होता है फ्राड
१ लोग अपने खाते से पैसे निकालने जाते है तो नगद की राशी बताकर अंगुठा निशाण डिजिटल मशीन पर लगाते है प्रक्रिया पुरी होती है उदाहरण के तौर पर किसी ग्राहक ने ५०० रुपये का नगद राशी की मांग की है मगर मिनी शाखा के संचालक उसके खाते मे ५००० रुपये का संचालन कर देते है उसका अंगुठा निशाण के तौर पर मशीन पर लगाकर व्यवहार पूर्ण कर लेते है मगर पैसे देते समय ५०० रु ग्राहक के मांग के अनुसार दे देते है. काफी दिनो बाद जब कभी ये बात ग्राहक को पता चलती है तब किसी भी प्रकार की सुनवाई की कोई गुंजाईश नही रहती. बहोत लोग काफी दिनो तक अपने बँक खाते के व्यवहार को देखते तक नही ओर इस प्रकार पैसे की हेराफेरी भ्रष्टाचार होता है.
२     लोग अपने खाते से पैसे निकालने जाते है तो नगद की राशी बताकर अंगुठा निशाण डिजिटल मशीन पर लगाते है प्रक्रिया पुरी होती है मगर खराब नियत वाले मिनी शाखा के संचालक गरीब ओर अनपढ जैसे ग्राहको के अंगुठे के निशाण के प्रतिरूप बडी ही चालाकी से कर लेते है ओर उस निशाण के रबर स्टंप बनाकर खाते से पैसे का लेन्देन कर लेते है जिसकी कोई जानकारी ग्राहक को नही होती. काफी दिनो बाद जब कभी ये बात ग्राहक को पता चलती है तब किसी भी प्रकार की सुनवाई की कोई गुंजाईश नही रहती. बहोत से लोग काफी दिनो तक अपने बँक खाते के व्यवहार को देखते तक नही जब ये बात पता चलती है तब काफी देर हो चुकी होती है ओर इस प्रकार पैसे की हेराफेरी भ्रष्टाचार होता है.
३ सरकारी योजना द्वारा मिलने वाली राशी का भ्रष्टाचार ज्यादा तौर पर होता है काफी मामले सामने आ चुके है अनेको के खाते मे सरकारी अनुदान के पैसे जैसे ही जमा हो जाते है वैसे ही वो किसी अन्य खाते मे चले जाते है जब वो व्यक्ती पैसे मांगने जाता है तब मिनी बँक के संचालक बडी ही चतुराई से उस खाते मे फिर से पैसे जमा कर देते है ओर पैसे का लेन्देन करते है यह एक बडा भ्रष्टाचार होता है. जीन गरीबोको नही समझ आता वो पैसे सरकारने नही भेजे ऐसा समज कर भूल जाते है.
www.vinoddahare.blogspot.com

No comments: