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Sunday, October 18, 2020

सोनझारी समाज एक नई दिशा / sonzari samaj ek nai disha

 sonzari

भारत के अनुसूचित जनजातियों के बिच अनुसूचित जमाती ( S.T ) आज भी सोनेझारी समाज जंगल पहाडो से बीच ही बसता है । महाराष्ट्र में नागपुर जिल्हे के भिवापुर तहसील सोनझारी सामाजी कि आबादी वाला एक गांव जिसका नाम किटाडी है जिसकी कुल आबादी लगभग २१० है जहा पर पुरुषो से अधिक महिलाओं की संख्या अधिक है महिला और पुरुष अनुपात लगभग थोडा कम है  इस गांव प्रशासन द्वारा १९९६ मे जिल्हा परिषद प्राथमिक शाला १ से ५ वी कक्षा तक चालू कर दिया गया आज भी जिल्हा परिषद् का सरकारी प्राथमिक विद्यालय है. जहा लगभग २० बच्चे पढ़ते है सम्पूर्ण गांव में सिर्फ सोनझरी समाज के लोग ही रहते है जिनमे गजपुरे,भिवमारे ,मडावी उपनाम के लोग रहन सहन कर रहे है  इनमे गजपुरे उपनाम के लोगो कि संख्या सबसे अधिक लगभग ९० प्रतीशत में है विशेष बात ये है की एक ही परिवार जिनके शादी के रिश्ते भी आपस मे हो चुके है ये लोग है साथ साथ भिवमारे और मडावी उपनाम के लोग भी इन्ही के सम्बन्धी रिश्तेदार है जो सालो से इनके साथ ही गाव मे रहते है. किटाडी यह गांव भिवापुर के उत्तर दिशा में पुल्लर की जंगलो के समीप सोमनाला गांव के उत्तर दिशा में ३ किमी पर भिवापुर शहर से १२ किलो मिटर की दुरी पर निसर्ग की वादियों  में बसा था इनमे से कुछ ही लोगो के पास अपनी थोडी सी खेती जो इन्होने खरीदी थी जीसके आसरे जीवन यापान होता है ज्यादातर पुरुष और महिलाये अपने पूर्वी काम पार रोजाना जाते है जली हुवी लाशो के राख को साफ करकर उन मे से सोना चांदी तांबा या अन्य धातू निकालना यह काम महिलाये करती नजर आती है साथ ही साथ सुनार गली मे या सुनार कि दुकान के पास कि जमीन को साफ करकर उसमे से सोना या चांदी तांबा या अन्य धातू निकालना यह काम महिलाये नियमित रूप से करती नजर आती है. कभी कभी तो लोह लंगर कबाडी भी जमा करते हुवे कुछ महिलाये या युवतिया दिख जाती है. पुरुष रोजाना बडी नादियो के घाट पर जाते है लोगो के दाह संस्कार के बाद रक्षा विसर्जन के समय पाणी मे रक्षा विसर्जन के बाद नदी से सोना चांदी तांबा जैसी धातू को पाणी मे डुबकी लगाकर निकालाने मे ये लोग तरबेज होते है ये बहोत ही कुशल तैराक होते है पाणी मे लंबे समय तक सांस रोककर ये रह सकते है. १९८४ के इंदिरा सागर राष्ट्रीय प्रकल्प में यह गांव पानी के बुडीत क्षेत्र में आने से भिवापुर से ही दक्षिण दिशा की और १३ किलोमीटर की दुरी पर तातोली गांव के पास पुनर्वसित कर दिया गया. समाज मे अग्यानता ज्यादा होने से सरकारी मदत इन्हे ओरो के बदले बहोत ही कम मिली. परिवार के सभी सदस्य हमेशा एकसाथ एक ही परिवार मे रहते है. शिक्षा का प्रतिशत बहोत ही कम होने से इनकी समस्याये भी बहोत ज्यादा है. गोसे खुर्द धरण में जलस्तर बढ़ने के वजह से  २४ अगस्त २०१९ को सम्पूर्ण गांव तातोली स्थित नए गावठान में  स्थलांतरित हो गया. जहा पर काफी समस्याओ का सामना इन लोगो को करना पड रहा है

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